बचपन की उम्र में छोटे बच्चो को शिक्षा, संस्कार देने का समय होता है। वैसे ही बच्चो का खेलने कूदने का समय होता है। मगर कुछ बच्चे ऐसे होते जिनके नसीब में यह सब बाते जानने का अवसर ही नहीं मिलता। जिस उम्र में उनके हातो में किताबे और खिलोने होने चाहिए उसके जगह पर उनके नाजुक हातो को पत्थर, कूड़ा उठाना पड़ता है। बाल मजदूरी जैसी गंभीर समस्या आज भी हमारे देश में कम होने का नाम नहीं ले रही।
बाल मजदूरी की समस्या समय के साथ साथ बहुत उग्र रूप लेती जा रही है। इस समस्या को अगर समय रहते जड़ से मिटाया नहीं गया तो इससे पुरे देश का भविष्य संकट में आ सकता है। बाल मजदूरी को जड़ से ख़तम करने के लिए क्या ठोस कदम उठाने चाहिए।
आप देखते ही होंगे शादी में लाइटिंग उठाते हुए बच्चे, मजदूरी करते हुए बच्चे, होटल में वेटर की तरह काम करने वाले बच्चे, चाय की दुकान, कपडे की दुकान आदि कई साड़ी जगहों पर आपने बच्चों को काम करते हुए देखा होगा| पर आजतक किसीने नहीं सोचा की इसके खिलाफ कुछ कहा जाये|
मै भी एक बच्चा हूँ और जब मै मेरी ही उम्र के, और मुझसे भी छोटे बच्चों को काम करते हुए देखता हूँ तो ह्रदय में बड़ा दुःख होता है| कुछ तो उनकी मजबूरी होती है, उस पर बड़ा तरस आता है|
एक बार की बात है मै अपने साथियों के साथ बहार गया था| हम सब एक चाय की दुकान पर गये और वहां पर एक बहुत ही छोटा बच्चा काम करता था तो मै अलग से उसके पास जाकर पूछता हूँ की तुम भीख क्यों मांगते हो तो उसने कहा की मेरे पापा घर पर बैठ कर केवल दारु पीते हैं तो परिवार में मेरी माँ, एक छोटी बहन , और एक बड़ा भाई है, तो उनके लिए बड़ा भाई दुकान पर काम करने जाता है और मई यहाँ चाय की दुकान पर काम करता हूँ | आँखों में आंसूं आ गये और दिल दिल में उसके लिए सम्मान की सीमा चरम पर जा पहुंची जहां हम हमारे माता पिता की मेहनत पर मौज कर रहे हैं और यहाँ इसे अपने पिता को पालना पड़ रहा है और केवल अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ रही है जबकि यह तो उसके पढने की उम्र है | मै तो यह सोचता हूँ की ऐसे बच्चे इतनी अच्छी तरह से काम करके पुरे परिवार का पेट पालते हैं तो यदि वे शिक्षा ग्रहण करके कुछ बड़ा करेंगे तो कितनी ऊंचाई तक जायेंगे |
बाल मजदूरी की समस्या समय के साथ साथ बहुत उग्र रूप लेती जा रही है। इस समस्या को अगर समय रहते जड़ से मिटाया नहीं गया तो इससे पुरे देश का भविष्य संकट में आ सकता है। बाल मजदूरी को जड़ से ख़तम करने के लिए क्या ठोस कदम उठाने चाहिए।
आप देखते ही होंगे शादी में लाइटिंग उठाते हुए बच्चे, मजदूरी करते हुए बच्चे, होटल में वेटर की तरह काम करने वाले बच्चे, चाय की दुकान, कपडे की दुकान आदि कई साड़ी जगहों पर आपने बच्चों को काम करते हुए देखा होगा| पर आजतक किसीने नहीं सोचा की इसके खिलाफ कुछ कहा जाये|
मै भी एक बच्चा हूँ और जब मै मेरी ही उम्र के, और मुझसे भी छोटे बच्चों को काम करते हुए देखता हूँ तो ह्रदय में बड़ा दुःख होता है| कुछ तो उनकी मजबूरी होती है, उस पर बड़ा तरस आता है|
बाल मजदूरी की रोक थाम, हम सब मिलकर करें यह काम |
एक बार की बात है मै अपने साथियों के साथ बहार गया था| हम सब एक चाय की दुकान पर गये और वहां पर एक बहुत ही छोटा बच्चा काम करता था तो मै अलग से उसके पास जाकर पूछता हूँ की तुम भीख क्यों मांगते हो तो उसने कहा की मेरे पापा घर पर बैठ कर केवल दारु पीते हैं तो परिवार में मेरी माँ, एक छोटी बहन , और एक बड़ा भाई है, तो उनके लिए बड़ा भाई दुकान पर काम करने जाता है और मई यहाँ चाय की दुकान पर काम करता हूँ | आँखों में आंसूं आ गये और दिल दिल में उसके लिए सम्मान की सीमा चरम पर जा पहुंची जहां हम हमारे माता पिता की मेहनत पर मौज कर रहे हैं और यहाँ इसे अपने पिता को पालना पड़ रहा है और केवल अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ रही है जबकि यह तो उसके पढने की उम्र है | मै तो यह सोचता हूँ की ऐसे बच्चे इतनी अच्छी तरह से काम करके पुरे परिवार का पेट पालते हैं तो यदि वे शिक्षा ग्रहण करके कुछ बड़ा करेंगे तो कितनी ऊंचाई तक जायेंगे |
किसी भी देश में सबसे कीमती अगर कुछ होता है तो वो उस देश के बच्चे। क्यों की आगे चलकर बच्चो को ही देश को चलाना है उनके हातो में देश का भविष्य है। आज अगर देश के बच्चे सुरक्षित है तो कल समाज भी सुरक्षित रहेगा।
बच्चे हमारे देश के बागो के फूल है। इसीलिए यह हम सबका कर्तव्य है की इन फूलो का संरक्षण हमने सबसे पहले करना चाहिए। बाल मजदूरी एक सामाजिक और आर्थिक समस्या है। भारत जैसे बड़े देश में बाल मजदूरी कोई नयी समस्या नहीं। बहुत पुराने समय से बच्चे अपने घर के काम में मदत करते है तो कभी अपने घर के लोगो के साथ मे खेतो में काम करते है।
जब 19 वी शताब्दी में पहली फैक्ट्री बनायीं गयी थी तभी से ही बाल मजदूरी की समस्या सबके सामने संकट बनकर बड़ी हो रही थी। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए सन 1881 में कुछ ठोस विधायक नियम बनाये गए थे। देश को आजादी मिलने के बाद भी बाल मजदूरी को ख़तम करने के लिए कई सारे कानून बनाये गए।
अगर कोई बच्चा खुद के लिए या फिर परिवार को आर्थिक रूप से मदत करने के लिए कोई काम करता और उस काम को करते वक्त अगर उसके शारीरिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास में बाधा पहुचती है तो उसे बाल मजदूरी कहा जाता है।
कुदरत ने इस दुनिया में सबसे सुंदर और प्यारा केवल बच्चे को ही बनाया है। मगर हालतों की वजह से छोटेसे और मासूम बच्चे को ना चाहते हुए भी मजदूरी करनी पड़ती है। उन्हें बचपन से ही घर चलाने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है जिससे उनका बौद्धिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता। इसकी वजह से भविष्य में राष्ट्र का बड़ा नुकसान होता है।
बाल मजदूरी अलग अलग रूप में देखने को मिलती है। कोई भी दुकानदार या मालिक बाल मजदूरी को ही अधिक पसंती देते है क्यों की बाल मजदूरी में कम पैसे देने पड़ते है और बच्चो के प्रति उनका कोई दायित्व भी नहीं रहता है।
बहुत से बच्चे जल्द ही काम पर लग जाते है क्यों की उनके आसपास कोई स्कूल नहीं होता और उन्हें लगता है की खाली बैठने से अच्छा काम करना ही बेहतर है। अधिकतर बच्चो के माँ बाप निरक्षर होने की वजह से भी बाल मजदूरी बढती ही जा रही है।
जो बच्चे काम करते है उनके माँ बाप भी बाल मजदूरी को गलत नहीं समझते। छोटे बच्चो को बड़े लोगो से भी अधिक काम करना पड़ता है। जो बच्चे उनके मालिक के यहाँ काम करते है वहापर उनका बहुत शोषण किया जाता है।
काम करने वाले बच्चो की रक्षा करने के लिए हमारे यहाँ कई नियम और कानून बनाये गए है। हमारे यहाँ 14 ऐसे कानून बनाये गए जिनकी वजह से काम करने वाले बच्चो को सुरक्षा का प्रावधान किया गया है।
मगर इतने सारे कानून होने के बाद भी बाल मजदूरी बढती ही जा रही है। बाल मजदूरी बढ़ने का सबसे बड़ी वजह गरीबी है। अगर इस समस्या को अभी ही जड़ से ख़तम नहीं किया गया तो यह सबके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। बाल मजदूरी की वजह से ही गरीबी को बढ़ावा मिलता है।
एक तरह से बाल मजदूरी आर्थिक रूप से अस्वस्थ, मानसिक तौर पर विनाशकारी और नैतिक रूप से पूरी तरह गलत है। बाल मजदूरी पर सख्त रूप से पाबन्दी लगा देनी चाहिए। अगर सभी लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से सक्षम हो गए तो बाल मजदूरी अपने आप खतम हो जाएगी।
बाल मजदूरी जैसी गंभीर समस्या हमारे देश पर कलंक है। इस कलंक को जड़ से मिटाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। हमारे देश के बच्चो की संख्या करोडो में है। हमारे देश में जितने बच्चे है उसमे से 5 प्रतिशत बच्चे बाल मजदूरी करते है। इस आकडे को देखने के बाद हमें पता चलता है कितने बड़े पैमाने पर बाल मजदूरी मौजूद है।
हमारे देश में अधिक गरीबी होने की वजह से ही बाल मजदूरी गंभीर रूप लेती जा रही है। अगर समाज को आर्थिक और सामाजिक रूप से सक्षम बनाया गया तभी बाल मजदूरी की समस्या जड़ से ख़तम हो जाएगी।
यदि आप मेरी किसी बात से सहमत न हो या मुझसे को गलती हो गयी हो तो माफ़ कर मुझे नीचे कमेंट्स में अवश्य बताएं और अच्छा लगे तो शेयर जरुर करें |
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